तृषा से व्याकुल हाथियों ने भी सिंह से भय खाना छोड़ दिया है।
4.
25 मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।
5.
और फिर ‘ क्या ' संरचना में लिपटी ये पंक्तियाँ भी-‘ पछताना क्या, थक जाना क्या, / बलसाना क्या, भय खाना क्या, / जब तक साँसा तब तक आसा / यह मंत्र सुनाती हूँ।
6.
' अस्तित्व' का 'ललाट के अलंकार' से भय खाना क्या आपकी अति संवेदनशीलता तो नहीं या फिर यह वैसा ही है जैसे एक कहानीकार की 'दो कलाकार' कहानी में एक बीमार स्त्री पात्र ने घनघोर तूफ़ान में लहरती लतिका के 'एकलौते पत्ते' से स्वयं के प्राण को सम्बद्ध कर लिया था वह टूटा कि प्राण देह से छूटे....
7.
' बिंदी ' यदि ब्लेक होल हो भी गई तो ' अस्तित्व ' आपका इतना कमज़ोर क्यों था जो उसके आकर्षण से खींच लिया गया. ' अस्तित्व ' का ' ललाट के अलंकार ' से भय खाना क्या आपकी अति संवेदनशीलता तो नहीं या फिर यह वैसा ही है जैसे एक कहानीकार की ' दो कलाकार ' कहानी में एक बीमार स्त्री पात्र ने घनघोर तूफ़ान में लहरती लतिका के ' एकलौते पत्ते ' से स्वयं के प्राण को सम्बद्ध कर लिया था वह टूटा कि प्राण देह से छूटे....